हिमाचल मित्र के इस अंक में बांसरी वादक राजेन्द्र सिंह गुरंग से बातचीत है। लोक संस्कृति के अंतर्गत हिमाचली लोक साहित्य में मुक्तक गीत, हिमाचली कोकिलाःवर्षा कटोच तथा लाहौल स्पिति के जनजातीय लोगों का विवाह समारोह लेख लोक कला की जानकारी प्रदान करते हैं। छत्तीसगढ़ की परंपरा व संस्कृति पर शरद कोकास का लेख ‘देश की हर शहर में एक छत्तीसगढ़ है’। ‘सतखसमी’ कहानी पढ़कर इसके कथ्य व शिल्प से भलीभांति परिचित हुआ जा सकता है। कुलदीप शर्मा, भास्कर चैधुरी, हंसराज भारती, सिद्धेश्वर सिंह की कविताएं हैं । बद्री सिंह भाटिया की कहानियों में समाज के निचले तबके तथा कमजोर लोगों को मुख्य धारा में लाने का जज्बा दिखाई देता है। एस .आर. हरनोट से बातचीत साहित्य के विभिन्न पहलूओं पर विचार करती है। यश मालवीय, केशो ज्ञानी, धौलाधार की कविताएं व रेखा ढडवाल के गीत प्रभावित करते हैं। अनूप सेठी, गप्पी बरैबर, केशव चंद्र, की रचनाएं प्रभावित करती हैं। शैलेन्द्र सिहं का हिमालय दर्शन व डा. गौतम व्यथित तथा डा. प्रत्यूष गुलेरी से सार्थक व सारगर्भित बातचीत है। अन्य रचनाएं, भी प्रभावित करते हैं
सम्पर्क: डी-46/16, साई संगम, सेक्टर 48, नेरूल, नयी मुम्बई 400.706
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